श्री कृष्ण के अग्रज भगवान बलभद्र और रेवती के विवाहोत्सव पर हुआ पूजन

कलवार सेवक समाज ने मनाया विवाहोत्सव समारोह

बिहार पत्रिका डिजिटल, खगड़िया,Kalwar Sevak Samaj celebrated marriage ceremony: कलवार सेवक समाज के तत्वावधान में व्याहुत कलवार के कुलदेवता भगवान बलभद्र और माता रेवती के विवाहोत्सव के अवसर पर पूजा अर्चना कर भगवान बलभद्र की आरती गायन तथा भोग लागाकर प्रसाद का वितरण किया गया। उक्त अवसर पर कलवार सेवक समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अरविन्द वर्मा ने कहा भगवान कृष्ण के बड़े भाई भगवान बलभद्र का विवाह रेवती के साथ हुआ था।

आगे डॉ वर्मा ने कहा पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रेवती महाराज रेवतक की पुत्री थीं। इनका जन्म दिव्य अग्नि से हुआ था। रेवती बेहद सुंदर थीं। साथ ही शील गुणों से भी ये परिपूर्ण थीं। जब रेवती बड़ी हुई और विवाह के योग्य हुई तो उसने निश्चय किया कि विवाह करेगी तो उस व्यक्ति से जो दुनिया में सबसे ज्यादा बलशाली होगा। इसके बाद से राजा रेवतक ने सबसे शक्तिशाली व्यक्ति की तलाश शुरू की। लेकिन धरती पर उन्हें कोई ऐसा व्यक्ति मिला ही नहीं। इस समस्या का हल निकालने के लिए राजा रेवतक ब्रह्म लोक गए।उन्होंने ब्रह्मा जी से पूछा कि वो उन्हें कोई ऐसा व्यक्ति बताएं जो बेहद शक्तिशाली हो। तब राजा रेवतक तो ब्रह्मा जी ने बलराम के बारे में बताया।

राजा धरती वापस आ गए। वो बलराम जी से मिलने उनके पास गए। लेकिन जब तक रेवतक धरती पहुंचे तब तक सतयुग और त्रेतायुग दोनों ही गुजर गए थे। जब वो घरती पहुंचे तो वहां लोग बहुत ही छोटे थे। इसके बाद वो बलराम जी के पास गए और कहा कि उनकी बेटी बलराम से लंबी है। ऐसे में रेवती का विवाह उनके साथ कैसे हो सकता है। तब बलराम जी ने कहा कि उनके धरती आने तक सतयुग और त्रेतायुग दोनों ही बीत चुके थे।

अब द्वापरयुग की शुरुआत हो चुकी है। इतने में ही बलराम जी ने रेवती के सिर पर अपना हल रखा और उसका सिर दबाया। इतने में ही रेवती का आकार बलराम जी से छोटा हो गया। इसके बाद बलराम और रेवती का विवाह सम्पन्न हुआ था।

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