बिहार पत्रिका डिजिटल, Saran Mob Lynching:बिहार के सारण जिले में मॉब लिंचिंग की घटना सामने आई है। जहां बुधवार रात गोमांस के शक में 55 साल के शख्स की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। जिसके बाद से दो समुदायों के बीच भया और तनाव का माहौल पैदा हो गया है। जिसके बाद से दोनों गांवों में पुलिस बल की तैनाती की गई है। पुलिस ने इस मामले में 20 संदिग्धों को हिरासत में लिया है। और पूछताछ की जा रही है। घटना जलालपुर पुलिस स्टेशन के तहत बंगरा गांव की है।
गोमांस के शक में पीट-पीटकर हत्या
सारण एसपी डॉ. गौरव मंगला ने बताया कि पीड़ित की पहचान गौरा पुलिस आउट पोस्ट के अंतर्गत मझवलिया गांव निवासी मोहम्मद जहीरुद्दीन के रूप में की गई है। घटना उस वक्त की है जब एक हड्डी फैक्ट्री में काम करने वाला पीड़ित जहीरुद्दीन अपनी वर्कशॉप की ओर जा रहा था। बटराहा बाजार के पास हड्डी लेकर जा रही उसकी गाड़ी अचानक खराब हो गयी। कुछ युवक उसकी मदद के लिए वहां पहुंचे लेकिन उन्हें कंटेनर से बदबू आई। जिसके बाद कंटेनर को खुलवाया गया तो उसमें हड्डियां मिलीं। जिसके बाद युवकों ने कंटेनर ड्राइवर की बुरी तरह पिटाई कर दी। और स्थानीय पुलिस को सूचना दी गई कि मवेशियों की हड्डियों की तस्करी की जा रही है।
हड्डियों के नमूने जांच को भेजे गए
सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और उसे पीड़ित को सदर अस्पताल पहुंचाया, जहां उसने दम तोड़ दिय। पुलिस ने कहा कि हड्डियों के नमूनों को परीक्षण के लिए फोरेंसिक लैब में भेज दिया गया है और मामले में आगे की जांच जारी है। इस बात की जांच की जा रही है कि घटना के वक्त पीड़ित गोमांस ले जा रहा था या नहीं। अप्रिय घटना को रोकने के लिए इलाके में अतिरिक्त बल तैनात किया गया है। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया।
4 महीने में मॉब लिंचिंग की दूसरी घटना
डॉ. मंगला ने कहा, कि आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है और उनकी पहचान करने और उन्हें पकड़ने के लिए छापेमारी की जा रही है। इससे पहले 10 मार्च को सारण में गोमांस ले जाने के संदेह में भीड़ ने अल्पसंख्यक समुदाय के एक व्यक्ति की बेरहमी से पिटाई की थी, जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी। मृतक की पहचान सीवान जिले के हसनपुर गांव निवासी नसीम कुरेशी (56) के रूप में की गयी। वह अपने भतीजे फिरोज अहमद कुरेशी के साथ कुछ परिचितों से मिलने जा रहे थे, तभी भीड़ ने कथित तौर पर रसूलपुर पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में आने वाले जोगिया गांव में उन्हें रोक लिया था।