Rajasthan News, कोटा: कुबेरेश्वर धाम, सीहोर के आचार्य पंडित प्रदीप मिश्रा ने सोमवार को शिव महापुराण कथा के दूसरे सोपान में कहा कि आज के समय में माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी कार देने से पहले अच्छे संस्कार देना शुरू करें। क्योंकि जिस भूमि पर पानी की कमी होती है,वहां फसल बिगड़ जाती है, उसी तरह जहां संस्कार की कमी होती है वहां नस्ल बिगड़ जाती है।
दशहरा मैदान में श्रद्धालुओं से खचाखच भरे पांडाल में पं.मिश्रा ने कहा कि आज हर मां चाहती है, मेरा बेटा पढ लिखकर डॉक्टर, इंजीनियर, सीए या कलेक्टर जैसा बने लेकिन कोई मां यह नहीं कहती कि मेरा बेटा या बेटी मीरा, कर्माबाई, संत तुकाराम, नरसिंह मेहता या रामकृष्ण परमहंस जैसा बने। अपने बच्चों को ऐसे संस्कार दो कि वे बुढापे में एक गिलास पानी तो अपने हाथ से पिला सके।
उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला एवं विधायक संदीप शर्मा को बधाई दी कि उन्होंने श्राद्ध पक्ष में कोटा में शिव महापुराण कथा आयोजित कर बहुत पुण्य कमाया है। आप दिखावे की दौड़ से दूर भक्ति के पथ पर चलते रहे तो जीवन में वास्तवित आनंद मिलेगा। उन्होंने कहा कि व्रत की प्रबलता किसी दिखावे से नहीं होती है। महादेव में अपने भरोसे का पक्का कर लो, फिर एक व्रत भी करोगे तो उसका फल अवश्य मिलेगा।
श्राद्ध पक्ष में ‘विष कपि’ का विशेष महत्व –
आचार्य पं.प्रदीप मिश्रा ने शिवभक्तों से कहा कि श्राद्ध पक्ष में 12 या 13 अक्टूबर को महाशिवरात्रि के दिन एक श्वेत पुष्प और एक लौटा जल महादेव का चढ़ा देना, आपकी मनोकामना अगले तीन माह में पूर्ण हो जायेगी। हनुमानजी के पूर्व अवतार ‘विष कपि’ का प्रसंग सुनाते हुये उन्होंने कहा कि भगवान शंकर और नारायण ने मिलकर एक शरीर के रूप में ‘विष कपि’ बनकर असुर का वध किया था। शिव महापुराण में उल्लेख है कि 16 दिन के श्राद्ध में किसी एक दिन रोटी के साथ गुड़ व खीर रखकर मन में ‘विष कपि’ जपते हुये दरवाजे के बाहर गाय को खिला दें। आपके परिवार में धन-सम्पदा की कभी कमी नहीं होगी।
बच्चों की सफलता के लिये यह करें
आचार्य मिश्रा ने कहा कि पितृ पक्ष की तीन बेटियां मैना, धन्या व कला थी। उनका स्मरण श्राद्ध पक्ष में करना चाहिये। आजकल बच्चों द्वारा तनाव से प्राण त्याग देना श्रेष्ठता नहीं है। आप पढाई के साथ बाबा पर भी विश्वास रखो। एक लौटा जल हर समस्या का हल है, यह भाव रखकर पक्की मेहनत करें। प्रत्येक मां परीक्षा में अपने बच्चे की सफलता के लिये तीन श्वेत पुष्प व तीन दाना चांवल एक कटोरी में लेकर घर के दरवाजे के अंदर रखे फिर इनको पितृों की तीनों बेटियों मैना, धन्या व कला एवं अपने बच्चे का नाम लेकर शिव मंदिर में अशोक सुंदरी पर समर्पित कर दें, बाबा की कृपा से परीक्षा परिणाम आपके पक्ष में ही आयेगा।
वीआईपी नहीं, भक्त बनकर कथा सुनें
कथास्थल पर हजारों श्रद्धालुओं को हो रही परेशानी पर उन्होंने कहा कि शिव महापुराण कथा में वीआईपी बनने का प्रयास नहीं करें। जो वीआईपी बनकर आते हैं, वे कथा बिगाडने आते हैं। मैदान में व धूप में शांत भाव से बैठे भक्तों को होने वाली परेशानियों को दूर करने का प्रयास करें। दशहरा मैदान के कई मुख्य द्वार बंद रखने पर भी उन्होंने कटाक्ष किया। सोमवार को बार-बार एलईडी एवं माइक खराब हो जाने से पं. मिश्रा को प्रवचन करते समय भी व्यवधान हुआ। महिलाओं ने खडे होकर इन अव्यवस्थाओं पर अपना विरोध जताया। उन्होंने कहा कि आयोजन समिति के कार्यकर्ता व्यवस्थायें छोड वीआईपी बनकर बैठ गये। पुलिस ने पासधारकों को भी प्रवेश नहीं करने दिया।