रीगा में चीनी मिल फिर शुरू, किसानों को मिली राहत

4 साल बाद मजदूरों के चेहरे पर आएगी ख़ुशी

दैनिक बिहार पत्रिका डिजिटल,शिवहर। लंबे समय से रीगा चीनी चालू कराने के लिए आंदोलन किया जा रहा था। लेकिन चीनी मील चालू नहीं हो पा रही थी। हाल के दिनों में लगातार चीनी मिल चालू कराने के कयास लगाया गया था। इससे पूर्व तीन बार नीलामी हो चुकी थी, लेकिन कोई खरीदार नहीं मिल रहा था।

जिले के एक मात्र उद्योग रीगा चीनी मिल की चालू होने का उम्मीद जग गई है। बता दें कि पिछले चार साल से रीगा चीनी मिल बंद है, जिसकी वजह से लाखों किसान और हजारों कामगार की रोजी-रोटी खत्म हो गई थी। पूर्व निर्धारित ई -ऑप्शन को लेकर आज मील के नए मालिक के द्वारा पहली किस्त जमा कर दी गई है। रीगा चीनी मिल चालू होने को लेकर स्थानीय लोगों में काफी खुशी है। चारों तरफ खुशियां मनाई जा रही हैं और लोगों के खुशी का ठिकाना नहीं है। किस्त जमा होने के बाद स्थानीय हनुमान मंदिर में हनुमान आराधना शुरू कर दी गई है।

बता दें कि लंबे समय से रीगा चीनी चालू कराने के लिए आंदोलन किया जा रहा था। लेकिन चीनी मील चालू नहीं हो पा रही थी। हाल के दिनों में लगातार चीनी मिल चालू कराने के कयास लगाया गया था। इससे पूर्व तीन बार नीलामी हो चुकी थी, लेकिन कोई खरीदार नहीं मिल रहा था. इस बार राशि घटाकर 101 करोड़ से 86 करोड़ कर दी गई है. ऐसे में लोगो को उम्मीद नहीं था कि अब रीगा चीनी मिल चालू भी होगा। बताया जा रहा था कि इस बार अगर नीलामी नहीं हुई, तो चीनी मिल के टुकड़े-टुकड़े कर बेंच दिए जायेंगे। बता दें कि रीगा चीनी मील पर मील मजदूर और किसानों के करोड़ों रूपए बकाया है।

दो दिन पहले निरानी शुगर, बैंगलोर के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर एस. निरानी की अगुवाई में सात सदस्यीय टीम ने चीनी मिल और डिस्टिलरी के हर मशीन का बारीकी से मुआयना किया था और इस संबंध में स्थानीय कर्मचारी और अपने तकनीकी अधिकारियों के साथ चर्चा की थी। उन्होंने मिल के बाहरी क्षेत्र के उन जमीनों पर भी नजर दौड़ाई, जिसे जरूरत पड़ने पर खरीदा जा सकता है। इसके बाद फर्टिलाइजर यूनिट, कोजेनरेशन के साथ-साथ उन सारे बड़े-बड़े बंगले और कर्मचारियों के क्वार्टर को भी देखा।

देर शाम बारिश में हीं गोपालपुर फॉर्म, महादेव फॉर्म की जमीन के अलावा, डुमरी, हरपुर,रूसुलपुर, मुबारकपुर और रास्ते में पड़ने वाले गांवों में खेतों में लगे गन्ना को देखा और गन्ना किसानों से बातचीत की। उन्होंने ये जाना कि अगर मिल चालू होगा, तो गन्ना की खेती कितनी बढ़ेगी. इसके बाद से स्थानीय लोग आए और मील वर्करों में उम्मीद जगी।

रिपोर्ट: सुमित सिंह /शिवहर

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