बिहार पत्रिका डिजिटल। चीन अपनी साज़िशों से पीछे नहीं हटता है। कुछ देश पाकिस्तान के तलवे चाटते नज़र आते है। वह उसके इशारों पर चलते नज़र आते हैं। पाकिस्तान के इशारे पर कश्मीर में G-20 कार्यक्रम में शिरकत न करके भारत को धोखा देने वाले सऊदी अरब और मिस्र अब चीन (China) से घातक हथियार खरीदने जा रहे हैं।
चीन ने तो खुलकर कश्मीर में जी-20 कार्यक्रम का विरोध किया था। चीनी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब और मिस्र अब अमेरिका से अपनी निर्भरता को कम करने के लिए चीन से घातक हथियार खरीदने पर बातचीत कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि ये देश चीन से फाइटर जेट से लेकर घातक ड्रोन तक खरीदने पर बातचीत कर रहे हैं।
साउथ चाइना (China) मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब मिलिट्री इंडस्ट्रीज इस समय चीन की कुख्यात सरकारी हथियार निर्माता कंपनी नोरिन्को के साथ हथियारों की खरीद को लेकर बातचीत कर रही है। इसमें निगरानी ड्रोन से लेकर एयर डिफेंस सिस्टम तक शामिल है। जिन हथियारों को लेकर समझौता हो सकता है, उसमें स्काई साकेर FX80 यूएवी, आत्मघाती ड्रोन और कम दूरी तक मार करने वाले एयर डिफेंस सिस्टम शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच HQ-17AE SHORAD एयर डिफेंस सिस्टम को लेकर बातचीत एडवांस स्टेज में पहुंच गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह बातचीत इस साल के आखिर तक या अगले साल की शुरुआत तक जारी रह सकती है। यह भी आशंका जताई जा रही है कि यह पूरा हथियार समझौता चीन की मुद्रा यूआन में होगा। वहीं रोटी-रोटी को तरस रहा कंगाल मिस्र भी चीन से J-10C फाइटर जेट खरीद सकता है। हाल ही में पाकिस्तान ने भी इस अत्याधुनिक चीनी फाइटर जेट को अपनी वायुसेना में शामिल किया था। मिस्र की वायुसेना का एक प्रतिनिधिमंडल मलेशिया में इस हफ्ते चीनी दल से मुलाकात कर सकता है।
इस मुलाकात के दौरान चीनी कंपनी मिस्र को बता सकती है कि उसने J-10C फाइटर जेट में अत्याधुनिक AESA रेडॉर समेत कई नए और घातक सिस्टम जोड़े हैं। बताया जा रहा है कि मिस्र चीन से 12 जे-10 फाइटर जेट खरीद सकता है। अमेरिका जहां दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा निर्यातक देश है, वहीं चीन अब उसका विकल्प बनने की कोशिश कर रहा है। चीन दुनिया के तानाशाही शासन वाले देशों को घातक हथियार देने में कोई शर्त नहीं रख रहा है जिससे उसके हथियार अफ्रीका से लेकर म्यांमार तक तबाही मचा रहे हैं।