बिहार पत्रिका डिजिटल, Bageshwar Dham Sarkar : बिहार के पटना में अभी कुछ दिन पहले पंडित धीरेन्द्र शास्त्री की कथा हुई थी। इस कार्यक्रम से ही मुस्लिम लड़की को प्रेरणा मिली। इस कथा के बाद ही लड़की ने इस्लाम धर्म छोड़ दिया और सनातन धर्म अपना लिया। सनातन धर्म अपनाने के बाद लड़की ने हिन्दू लड़के से शादी कर ली। बिहार के नौबतपुर में बागेश्वर बाबा यानि पंडित धीरेन्द्र शास्त्री के कार्यक्रम से प्रेरणा लेकर इस्लाम धर्म की लड़की ने पहले तो हिन्दू रीतिरिवाजों के तहत सनातन धर्म में घर वापसी की फिर एक हिन्दू धर्म के लड़के से मंदिर में शादी रचा ली।
यह पूरा मामला वैशाली जिले के लालगंज का है. जहां के सहथा गांव के रहने वाले उमाशंकर कुंवर के पुत्र रौशन कुमार को मुजफ्फरपुर जिले के गीजास गांव की इस्लाम धर्म की नौसनी प्रवीण से पढ़ाई के दौरान प्यार हो गया। हालांकि दो धर्मों के होने के कारण लंबे समय से चल रहा यह प्यार-मोहब्बत शादी विवाह के बंधन में नहीं बंध पा रहा था। इसी बीच बागेश्वर बाबा का कार्यक्रम बिहार के पटना नौबतपुर में हुआ। कार्यक्रम के दौरान बागेश्वर बाबा द्वारा दिये गए प्रवचन का ऐसा असर लड़की पर हुआ कि अपने धर्म को छोड़कर वह सनातनी बनने का फैसला ले लिया।
अपने इस फैसले को लड़के के सामने रखा। जिसके बाद दोनों लालगंज के आचार्य कमलाकांत पाण्डेय और पंडित संजय तिवारी से मिले और धर्मांतरण के विधि विधान के बारे में जाना। पंडित द्वारा बताए गए विधानों पर चलने की ठानी और रविवार की सुबह नारायणी नदी के तट पर पंडितों को लेकर पहुंच गए। वहां आचार्यो द्वारा लड़की का धर्मांतरण यानी घर वापसी कराई गई. धर्मांतरण के तहत नदी में स्नान, गाय के दूध, दही, घी, गोबर के साथ- साथ सर्व औषधि, भष्म आदि से भी स्नान कराते हुए मंत्रोच्चरण के साथ लड़की का सनातन धर्म में प्रवेश कराया गया। सनातन धर्म में आते ही गिजास गांव की नौसनी प्रवीण नारायणी नदी को साक्षी मानकर रुक्मणि बन गयी। इस लड़की ने सनातन आचरण कर इसी अनुरूप जीने का संकल्प लिया।
जिसके बाद दोनों प्रेमी युगल लालगंज रेपुरा स्थित अर्धनारीश्वर शिव मंदिर पहुंचे। इस दौरान लड़के का पूरा परिवार भी मौजूद था। मंदिर में पहले सत्यनाराण भगवान की पूजा की गई। इसके बाद विवाह विधि शुरू हुई। मंदिर में लड़के के परिवार वालों ने गहना चढ़ाया। हल्दी और घृतधारी की भी रस्म पूरा की। वर पक्ष की महिलाओं ने बारी बारी से दुल्हन को हल्दी लगाया। हल्दी और मंगल गीत भी गाया गया। आचार्य ने शादी के सात वचनों से दूल्हा दुल्हन को बांधा। कन्या दान की रस्म भी अदायिगी हुई और भगवान भोलेनाथ की परिक्रमा कर सात जन्मों के लिए एक दुसरे के हो गए।
वर वधु को आशीर्वाद देने के लिए हिन्दू पुत्र संगठन के राजीव ब्रह्मर्षि, अमन कुमार, विश्व हिंदू परिषद के अमरेश कुमार, भाजपा के अखिलेश कुमार सिंह उर्फ कन्हैया सिंह समेत कई बुद्धजीवी और सनातन संस्कृति को मानने वालों लोग मौजूद हो एक सुर में कहा कि सनातन धर्म में आने वाले हर किसी का स्वागत है। जाहिर सी बात है कि बागेश्वर बाबा तो बिहार से चले गए मगर उनके द्वारा हिन्दू राष्ट्र बनाने को लेकर जो संदेश दिया गया। उसका असर साफ दिख रहा है। उनके संदेश का ही असर है कि नौशनी प्रवीण सब कुछ भुलाकर रुक्मिणी बन सनातन धर्म में घर वापसी कर ली।