Bhagalpur News: बिहारी कन्या मध्य विद्यालय, मिरजानहाट में मनाया गया सावित्री फुले बाई जयंती

Bhagalpur News: बिहारी कन्या मध्य विद्यालय मिरजानहाट में शुक्रवार को सावित्री फुलवाई की जयंती मनाई गई। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका श्री मति सुमन कुमारी ने बच्चो को विस्तार से फुलवाई की जीवनी का बच्चियों को अबलोकन कराया एवम उनके तैलीय तस्वीर पर माल्यार्पण किया विद्यालय परिवार ने तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनको याद किये।

बच्चियों ने भी सावित्रीबाई के विषय मे चार पंक्ति सबो के सम्मुख रखी जो सराहनीय रहा। शिक्षिका पुष्पा कुमारी,शिक्षा सेवक नीरज रजक ने भी अपने विचार बच्चियों के सम्मुख रखे। प्रधानाध्यापिका सुमन कुमारी ने बच्चियों को हमेशा प्रेरणादायक कहानियां से सदा प्रेरित करती रहती है। आज भी सावित्रीबाई की प्रेरणादायक कहानी की वारिकी से समझाया। जो निम्न है।

सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। इनके पिता का नाम खन्दोजी नैवेसे और माता का नाम लक्ष्मीबाई था। सावित्रीबाई फुले का विवाह 1841 में ज्योतिराव फुले से हुआ था। सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं।

उन्हें अक्सर भारतीय नारी आंदोलन की जननी के रूप में जाना जाता है. सावित्रीबाई का जन्म भारत के महाराष्ट्र राज्य के छोटे से गांव नायगांव में हुआ. सावित्रीबाई बचपन से ही बहुत जिज्ञासु और महत्वाकांक्षी थीं. 1841 में नौ साल की उम्र में सावित्रीबाई का विवाह ज्योतिराव फुले से हुआ और वह बलिका वधु बनीं.सावित्रीबाई फुले द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए दिखाए गए मार्ग का अनुसरण सभी को अपने सच्चे मन, आत्मा और भावना से करना चाहिए। उन्होंने हर तरह से महिलाओं के लिए समानता के लिए लड़ाई लड़ी। सामाजिक सुधारों की उनकी सोच शिक्षा और महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण से जुड़ी हुई है। आज लड़कियों के प्रति हमारी सोच बदल गई है।

कर्म के बिना ज्ञान बेकार है, और ज्ञान के बिना कर्म निरर्थक है।” “यदि आप एक पुरुष को शिक्षित करते हैं, तो आप एक व्यक्ति को शिक्षित करते हैं। लेकिन यदि आप एक महिला को शिक्षित करते हैं, तो आप एक पूरे परिवार को शिक्षित करते हैं।” “किसी भी व्यक्ति को अन्याय बर्दाश्त नहीं करना चाहिए, चाहे वह खुद के खिलाफ हो या किसी दूसरे के खिलाफ।

उन्होंने प्लेग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए पुणे के हड़पसर में एक दवाखाना खोला। अपनी बाहों में 10 वर्षीय प्लेग से पीड़ित बच्चे को अस्पताल ले जाते समय वह स्वयं इस बीमारी का शिकार हो गई। 10 मार्च 1897 को सावित्रीबाई फुले का निधन हो गया।

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