शारदीय नवरात्र 22 सितंबर से: मां दुर्गा हाथी पर करेंगी आगमन, नरवाहन पर प्रस्थान — वर्षा, कृषि, सुख-समृद्धि और शांति का शुभ संकेत

इस बार चतुर्थी तिथि की वृद्धि से 10 दिनों का नवरात्र, विजयादशमी सहित कुल 11 दिन; कलश स्थापना से लेकर देवी विसर्जन तक हर दिन का विशेष महत्व

गोगरी/खगड़िया। ज्योतिषाचार्य डॉ. शुभम सावर्ण के अनुसार इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की शुरुआत सोमवार, 22 सितंबर से होगी। आश्विन शुक्ल पक्ष में इस बार चतुर्थी तिथि की वृद्धि हो गई है, जिसके कारण नवरात्र 10 दिनों का होगा और विजयादशमी मिलाकर कुल 11 दिन तक पर्व का विशेष महत्व रहेगा। धार्मिक मान्यता है कि नवरात्र में तिथि वृद्धि होना शुभ फलदायक माना जाता है और इस बार यह वृद्धि भक्तों के लिए और भी कल्याणकारी सिद्ध होगी।

धार्मिक परंपराओं के अनुसार इस वर्ष मां दुर्गा का आगमन हाथी पर हो रहा है। इसे शास्त्रों में ‘शशि सूर्ये गजारूढा’ कहा गया है। हाथी पर आगमन को अच्छी वर्षा और कृषि वृद्धि का प्रतीक माना जाता है। वहीं देवी का प्रस्थान नरवाहन (मनुष्य पर) होगा, जिसे “सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहनगा शुभ सौख्यकरा” कहा गया है। इसका अर्थ है कि देवी का प्रस्थान समाज में सुख-समृद्धि, सौभाग्य और शांति का द्योतक है। इस वर्ष का आगमन और प्रस्थान दोनों ही शुभ संकेत माने जा रहे हैं।

नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना से होगी। इसके लिए अमृत मुहूर्त प्रातः 6:09 से 8:06 तक, शुभ मुहूर्त 9:14 से 10:49 तक और अभिजीत मुहूर्त 11:49 से 12:38 तक रहेगा। आवश्यकता पड़ने पर कलश स्थापना सूर्यास्त से पहले तक की जा सकती है। ज्योतिषाचार्य सावर्ण का कहना है कि इन मुहूर्तों में कलश स्थापना करने से साधक को मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

पूजन क्रम के अनुसार 25 और 26 सितंबर को चतुर्थी तिथि रहेगी, इसलिए दोनों दिन मां कूष्मांडा देवी की पूजा होगी। 27 सितंबर को स्कंदमाता की आराधना की जाएगी और इसी रात हस्त नक्षत्र में सूर्य का प्रवेश होगा। 28 सितंबर को गज पूजा, मां कात्यायनी की पूजा तथा शाम को बिल्ववाभि मंत्रण, देवी बोधन और अधिवास की परंपरा निभाई जाएगी। 29 सितंबर को नवपत्रिका प्रवेश, देवी की प्राण प्रतिष्ठा और राजसोपचार पूजन के साथ रात्रि में महानिशा पूजा होगी।

30 सितंबर मंगलवार को महाअष्टमी व्रत रखा जाएगा। अष्टमी तिथि दिन के 1:54 तक रहेगी। इस दिन संधि पूजा का विशेष महत्व है जिसका शुभ समय दोपहर 1:30 से 2:18 तक रहेगा। इस अवसर पर मां दुर्गा को फल, मिष्ठान, पकवान, वस्त्र, आभूषण और श्रृंगार सामग्री अर्पित की जाएगी। 1 अक्टूबर को महानवमी मनाई जाएगी। नवमी तिथि दोपहर 2:46 तक रहेगी और इसका महत्व सूर्यास्त तक बना रहेगा। इस दिन मां के सिद्धिदात्री रूप की पूजा के साथ कुमारी पूजन, कुष्मांडा बली, छग बली और हवन जैसे अनुष्ठान पूरे किए जाएंगे।

2 अक्टूबर गुरुवार को विजयादशमी मनाई जाएगी। इस दिन अपराजिता पूजा, शमी पूजन, आयुध पूजन, देवी विसर्जन, नीलकंठ दर्शन और व्रत पारण के साथ नवरात्रि का समापन होगा।

ज्योतिषाचार्य डॉ. शुभम सावर्ण का कहना है कि इस बार का नवरात्र धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यंत फलदायी रहेगा। मां दुर्गा का हाथी पर आगमन जहां प्रकृति की उर्वरता और कृषि वृद्धि का प्रतीक है, वहीं नरवाहन पर प्रस्थान समाज और परिवार में सौहार्द, सुख और शांति का द्योतक है। भक्तों के लिए यह पर्व न केवल देवी आराधना का अवसर है बल्कि आध्यात्मिक साधना और आत्मशुद्धि का मार्ग भी है।

रिपोर्ट: कृष्णा टेकरीवाल, दैनिक बिहार पत्रिका

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